कामवृति का नाश कैसे होॽ | How to get rid of lust

 प्रश्नः— कामवृत्ति का नाश कैसे होॽ

उत्तरः— शरीर के साथ अपना संबंध मानने से ही कामवृत्ति पैदा होती है। हमारा स्वरूप सत्तामात्र है। सत्तामात्र की तरफ वृत्ति रहनेसे कामवृत्ति का नाश हो जाता है। कारण कि सत्ता में विकार नहीं है और विकार में सत्ता नहीं है। 

    विचार करने से अथवा भगवान् से प्रार्थना करने से भी काम से बचा जा सकता है। दृढ निश्चय से भी काम दूर हो जाता है; जैसे— पहले जमाने में राजालोग ही नहीं‚ डाकू भी स्त्रियों से दुर्व्यवहार नहीं करते थे तो यह उनका दृढ निश्चय था। काम नीरसता से पैदा होता है। जैसे कुत्ते को मांस नहीं मिलता तो वह सूखी हड्डी ही चबाता है‚ जिससे उसके मुख से खून निकलता है और वह उसी से राजी हो जाता है। ऐसे ही नीरसता में मनुष्य देखता है कि कोई भी भोग मिल जाय तो थोड़ा सुख ले लें। यदि भगवान् में प्रियता हो जाय तो नीरसता दूर हो जायगी और नीरसता दूर होने से काम भी नहीं रहेगा। 

रामचरितमानस की बालकाण्ड की एक चौपाई है—

मन करि विषय अनल वन जरई। होइ सुखी जो एहि सर परई।

भावार्थः— मनरूपी हाथी विषयरूपी दावानल में जल रहा है‚ वह यदि रामचरितमानसरूपी सरोवर में आ पड़े तो सुखी हो जाय।

यदि इस चौपाई का संपुट लगाकर रामचरितमानस का पाठ किया जाय तो विषय-वासनाओं का नाश हो जाता है।

    श्रीमद्भागवतपुराण के अंतर्गत रासपंचाध्यायी का नित्य पाठ करने से भी कामवासना से  छुटकारा पाया जा सकता है‚ क्योंकि रासलीला भगवान् श्रीकृष्ण की कामविजय लीला है और उसकी फलश्रुति यही बतायी गयी है कि इसके पाठ से मनुष्य अपने भीतर के रोग कामवासना से मुक्ति पा लेता है। 

    आखिरी सहारा भगवान् का ही है‚ क्योंकि मनुष्य अपने उपायों‚ तरीकों से ज्यादा समय तक काम से नही बच सकता। भर्तृहरि कहते है— जो वायु-भक्षण करके, जल पीकर और सूखे पत्ते खाकर रहते थे, वे विश्वामित्र, पराशर आदि भी सुन्दर स्त्रियोंके मुखको देखकर मोहको प्राप्त हो गये, फिर जो लोग शाली धान्य (सांठी चावल) को घी, दूध और दहीके साथ खाते हैं, वे यदि अपनी इन्द्रियका निग्रह कर सकें तो मानो विन्ध्याचल पर्वत समुद्रपर तैरने लगा। 

    इस पृथ्वीपर कुछ लोग तो हाथीका मस्तक विदीर्ण करनेमें शूर हैं और कुछ लोग प्रचण्ड सिंहको मारनेमें दक्ष हैं । परन्तु ऐसे बलवान् पुरुषोंके सामने मैं दृढ़तापूर्वक कहता हूँ कि कामदेवके मदको चूर्ण करनेवाले पुरुष विरले ही हैं।

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