वनवासके प्रसंगमें पंचवटी में सुखपूर्वक बैठे हुए श्रीराम से ज्ञानप्राप्ति की इच्छा से लक्ष्मण प्रश्न करते है— ए क बार प्रभु सुख आसीना। लछिमन वचन …
Read more »पुष्पवाटिकामें जब श्रीराम एवं सीता एक दूसरेको प्रथम बार देखते है। तब दोनों पुरातन प्रीतिको चरितार्थ करते हुए एक दूसरेको चाहने लगते है। अपनी सखि…
Read more »यह प्रसंग उस समय का है जब वनवास करते हुए युधिष्ठिर महात्मा दुर्वासा को अपने शिष्यों के साथ अतिथि सत्कार के लिये आमंत्रित कर लेते है‚ दुर्वासा भी…
Read more »मनुपुत्र नभगके पुत्रका नाम नाभाग था। जब वह दीर्घकाल तक ब्रह्मचर्यका पालन करके लौटा‚ तब बडे़ भाईयोंने अपनेसे छोटे किन्तु विद्वान् भाईको हिस्सेमे…
Read more »।। दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र।। सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी। आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा शूलधारिणी।। पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा म…
Read more »शरशय्या पर पडे़ हुए पितामह भीष्म ने अपने अंतिम समय में भगवान् श्रीकृष्ण को अपने समक्ष देखकर अपना अहोभाग्य समझा और एकाग्रचित्त से उनकी इस प्रकार …
Read more »चीरहरण के समय द्रौपदी ने अपने शील की रक्षा के लिये सभा में उपस्थित सभी वरिष्ठ महानुभावों जैसे कृपाचार्य‚ भीष्म पितामह‚ द्रोणाचार्य आदि से याचना …
Read more »महाभारत युद्ध में महाराज युधिष्ठिर को अपने स्वजनों के वध से बड़ी चिन्ता हुई। व्यासादि महर्षियों एवं स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण ने भी उन्हें समझाने का…
Read more »महाभारत युद्ध के उपरांत अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से जब भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ की रक्षा की और स्वयं हस्तिनापुर से प्रस्थान करने ल…
Read more »इस पुण्डरीकाक्षपार स्तोत्र द्वारा कश्मीर नरेश राजर्षि वसु ने तीर्थश्रेष्ठ पुष्कर में तपस्यापूर्वक भगवान् नारायण की आराधना की थी। नमस्ते पुण्डरी…
Read more »वनवास के समय जब प्रभु श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में पहुंचते है। वाल्मीकि उन्हें देखकर बहुत आह्लादित ह…
Read more »बाह्य तीर्थों से तो हम सब परिचित है ही‚ जिनमें स्नान या सेवन से तन-मन की तात्कालिक शुद्धि होती है। परंतु आज ऐसे आंतरिक तीर्थों के बारे में जानें…
Read more »।।विष्णु शतनाम स्तोत्र।। वासुदेवं हृषीकेशं वामनं जलशायिनम्। जनार्दनं हरिं कृष्णं श्रीवक्षं गरुडध्वजम्।। वाराहं पुण्डरीकाक्षं नृसिंह नरकांतकम्। अव्यक…
Read more »वनवास के समय जब निषादराज गुह श्रीराम एवं सीता को भूमि पर शयन करता हुआ देखते है तो महान् विषाद में डूब जाते है‚ तब उनके विषाद को दूर करने के लि…
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